सूचना महानिदेशालय का हाकम सिंह आखिर कौन?
क्या पूर्व की भांति अपनी साफ़ छवि कही जाने वाली धामी सरकार अपने ही महत्वपूर्ण विभाग सूचना के हाकम के विरुद्ध सख्त एक्शन लेकर एक बार फिर नजीर करेंगे पेश ?
एक बार फिर मुख्यमंत्री के अहम विभागों में शामिल सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से फ़ैल गई है खलबली ?
एक के बाद एक घोटालों के बाद राज्य सरकार पर चौतरफ़ा उठ रहे हैं सवाल?
पूर्व के दिनों पहले UKSSSC पेपर लीक प्रकरण में मौजूदा सरकार पर उठ चुके हैं अनेकों सवाल?
जिसके बाद सरकार ने कठोर निर्णय लेते हुए UKSSSC परीक्षा को कर दी थी रद्द?
श्रमिक मंत्र,देहरादून। जी हां हैरानी की बात तो यह है कि राज्य सरकार की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले सूचना एवं लोक संपर्क विभाग भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं। सूचना महानिदेशालय में अनियमिताओं का अंबार है, विज्ञापनों में बंदर बांट से लेकर बिल भुगतान तक अपने खास चेहेतों को उनके हिसाब से बिल भुगतान आसानी से हो जाते हैं और बाकी लोग अपने बिलों के भुगतान के लिए महीनो सूचना की परिक्रमा करते रह जाते हैं। जबकि बिल का भुगतान बिल की तिथि के अनुसार होने चाहिए। परंतु इस सूचना विभाग की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लेकिन अब सेटिंग गेटिंग खेलों का अंत होने का सही समय आ गया है और सूचना विभाग के विरुद्ध नहीं बल्कि यहां बैठे भ्रष्ट अजगरों को यहां से बाहर करना ही होगा।
हां भ्रष्टाचार के घेरे में है सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी व अधिकारी। आपको बता दें कि यहां कोई पेपर लीक नहीं बल्कि,फ़र्ज़ी पेपर्स के आधार पर बीते दिनों सोशल मीडिया के सूचीबद्धता के लिए विभागीय अधिकारीजीयों ने अपने निजी फायदे के लिए मिलीभगत कर कुछ सूचीबद्ध के लिए आवेदन किये गए स्वामी को ‘क’ श्रेणी की सफल सूची में शामिल कर दिया। जबकि सूचना विभाग द्वारा ही करीब चार सौ पोर्टल स्वामियों को सूचीबद्धता के लिए जमा कराए गए पेपर में त्रुटि के कारण अयोग्य बताकर उन्हें सूचीबद्ध की सफल सूची से बाहर कर दिया गया है। तो क्या अब अपर निदेशक सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग के सिंहासन पर आसीन त्रिपाठी अपने विभाग में हाल में सोशल मीडिया के लिए किये गए टेंडर को सौ फीसदी पारदर्शिता के साथ निविदा ओपन होने की बात कहते नज़र आते हैं। जबकि दो दिन पूर्व में कुछ पत्रकारों ने अपर निदेशक सूचना से मिलकर टेंडर में अनियमितता होने की शिकायत भी की।
लेकिन अपर निदेशक कथित पत्रकारों की शिकायत को नज़रअंदाज़ कर विभागीय भ्रष्ट अधिकारियों का समर्थन व बचाव करते नज़र आये। कारण पत्रकारों की लिखित शिकायतों को सिरे से खारिज कर दिया और अहंकार भरे साफ़ शब्दों में कहा कि, अब टेंडर ओपन हो चुका है और इसमें अब कुछ भी फेरबदल करना संभव नहीं है। लेकिन सूचना विभाग के पोर्टल से सम्बन्धित पदाधिकारी ने कथित शिकायतकर्ता पत्रकारों के समक्ष यह स्वीकार किया कि, शिकायतकर्ता द्वारा जो कुछ नाम दिए गए थे, उनमे से कुछ के निविदा के लिए लगाए गए पेपर में त्रुटि पाई गई है। इतना ही नहीं पदाधिकारी ने यह भी कहा कि, आपकी शिकायत के बाद उन पोर्टल स्वामी को सफल सूची से बाहर करने के साथ साथ उसे ब्लैक लिस्ट करने का काम भी करेंगे। अब उक्त पदाधिकारी के कार्रवाई करने की बात से यह पुष्टि होती है, कि उन्होंने यह बात खुद स्वीकार किया कि बाकी टेंडर प्रक्रिया में धांधली व भ्रष्टाचार तो हुआ। वहीं अब देखना है कि सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी अपने विभाग के टेंडर प्रक्रिया में शामिल पदाधिकारी व अधिकारियों के विरुद्ध क्या रुख अपनाते हैं या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। क्या अब सूचना एवं लोक संपर्क विभाग अवैध रूप से किये गए टेंडर को निरस्त कर अपनी पारदर्शिता की शाख को बचाएगी? या फिर टेंडर प्रक्रिया के दिन से लेकर निविदा खोलने के दिन तक उन सभी विभागीय अफसरों की भ्रष्टाचार में संलिप्तता व सांठगांठ से कुछ पोर्टलों को सूचीबद्ध कर भ्रष्टाचार से हुए टेंडर पर मुहर लगाती है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
हालांकि सूचना एवं लोक संपर्क विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग सूबे के मुखिया धामी सरकार के पास है और अब सूचना भवन के इस सनसनीखेज खुलासे के बाद सभी की नज़र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हुई है। कि, जिस प्रकार से पूर्व के दिनों में UKSSSC परीक्षा में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कठोर निर्णय लिया और भ्रष्ट संलिप्त अधिकारियों को जेल की सलाखों तक भेजकर भ्रष्टाचार मुक्त सरकार होने की नज़ीर पेश की। जिसके बाद कई अधिकारियों को अपनी नौकरी भी गवानी पड़ी।तो क्या अब धामी सरकार अपने महत्वपूर्ण विभाग में हुए टेंडर प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध भी कठोर निर्णय लेकर एक नज़ीर पेश करने का काम करेंगें। जिससे कि, भविष्य में फिर कभी भी सूचना विभाग में भ्रष्टाचार करने की कोताही न बरती जा सके।