कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के पति और चर्चित उद्यमी रॉबर्ट वाड्रा के ऋषिकेश दौरे की चर्चा आज भी जारी है

रॉबर्ट वाड्रा के साहसिक खेल और नितांत धार्मिक दौरे की चर्चा थमी नहीं
वाड्रा का यह दौरा एशियाई खेलों के वेटलिफ्टिंग चैंपियन और उत्तराखंड वेट लिफ्टिंग संघ के महासचिव राजीव चौधरी  ने आयोजित किया था 

श्रमिक मंत्र,देहरादून। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के तहत बीती 19 अप्रैल को मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने के बाद राजनीति का शून्यकाल चल रहा है किंतु इस बीच एक घटना लगातार सुर्खियों में बनी हुई है।

उसे लोगों ने राजनीतिक नजरिए से बेशक देखा हो, किंतु यह उससे बढ़ कर खेल और साहसिक गतिविधियों का आयाम ज्यादा था !

जिसे संयोगवश ज्यादा महत्व नहीं मिला किंतु देखा जाए तो इस प्रकरण से राजनीति में लगातार सुर्खियां बने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के पति और चर्चित उद्यमी रॉबर्ट वाड्रा के ऋषिकेश दौरे की चर्चा आज भी जारी है।

मीडिया के एक वर्ग ने उनके दौरे को नितांत राजनीतिक दृष्टि से प्रमुखता दी किंतु उसके पीछे मूल कारण श्री वाड्रा का खेल गतिविधियों पर चर्चा तथा साहसिक खेलों के बारे में अद्यतन जानकारी प्राप्त करना था।

रॉबर्ट वाड्रा ने बीते जब गंगा में राफ्टिंग का लुत्फ उठाया तब भी इस मामले को ज्यादा महत्व नहीं मिला किंतु अब इस प्रकरण की ज्यादा चर्चा है। उसी दिन उन्होंने त्रिवेणी घाट में भंडारे का भी आयोजन भी किया था। जाहिर है यह उनका नितांत निजी दौरा था।

वाड्रा का यह दौरा एशियाई खेलों के वेटलिफ्टिंग चैंपियन और उत्तराखंड वेट लिफ्टिंग संघ के महासचिव राजीव चौधरी  ने आयोजित किया था और इसमें प्रदेश कांग्रेस के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव महर्षि का भी  सहयोग रहा , इन दोनों लोगों ने  प्रदेश में आगमन पर उनका स्वागत किया और नितांत खेल तथा धार्मिक महत्व के विषयों पर वाड्रा के साथ चर्चा की।

जाहिर है वाड्रा उत्तराखंड में धार्मिक और खेलकूद जैसे राफ्टिंग आदि के उद्देश्य से आए थे किंतु जब त्रिवेणी घाट पर उन्होंने भंडारे का आयोजन किया तो मीडिया द्वारा राजनीति से संबंधित प्रश्न पूछे जाने के बाद उनका दौरा राजनीतिक दृष्टि से देखा गया, जबकि वाड्रा ने प्रदेश में राफ्टिंग की संभावनाओं, इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों पर ज्यादा गौर किया था।

गंगा आरती और त्रिवेणी घाट पर उनकी सेवा पर जनसामान्य के बीच अब चर्चा हो रही है। राजनीति के शून्यकाल में अक्सर इस तरह की बात हो जाती हैं।

यहां तीर्थनगरी में गाहे बगाहे रॉबर्ट वाड्रा के हालिया दौरे उनका प्रबंध करने के बारे में स्थिति साफ होने के बाद  वाड्रा के व्यक्तित्व का नए रूप में मूल्यांकन भी होने लगा है।