मिशन मिलेट के अंतर्गत तैयार की जा रही है योजना : गणेश जोशी
बंगलुरु में कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में बोले गणेश जोशी मिशन मिलेट के अंतर्गत तैयार की जा रही है योजना।जर्मनी और डेनमार्क जैसे यूरोपीय देशों को निर्यात होगा राज्य में उत्पादित मोटा अनाज। सूबे के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कर्नाटक के बंगलुरू में चल रहे कृषि मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन में प्रतिभागिता के दौरान उत्तराखण्ड़ राज्य के ‘‘मिशन मिलेट’’ (मोटे अनाजां के उत्पादन एवं विपणन को एण्ड टू एण्ड प्रोत्साहित करने का मिशन) के बारे जानकारी दी। इस सम्मेलने में केन्द्रीय कृषि मंत्री तथा अन्य राज्यों के कृषि मंत्री प्रतिभाग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य का मिलेट प्रोग्राम उत्पाद केन्द्रित विजन के साथ तैयार किया जा रहा है तथा फाईनल स्टेज में है।
सूबे के कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में कोदा/झंगोरा तथा कोणी जैसे मिलेट अनाज का उत्पादन पारम्परिक तौर पर किया भी जाता रहा है और इसके लिए राज्य में अत्यधिक अनुकूल परिस्थितियां भी हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि किसानों के इस पारम्परिक कृषि व्यवहार को आज की बाजार आवश्यकताओं से जोड़ें। इसके लिए अत्याधुनिक कृषि अनुसंधान तथा उपलब्ध तकनीकी को किसानों तक पहुंचाने तथा उनके मिलेट उत्पादों को अंतरार्ष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करवाने पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। राज्य के मिलेट उत्पादों की गुणवत्ता को देखते हुए जर्मनी और डेनमार्क जैसे यूरोपीय देशों द्वारा रूचि दिखाई गई है। हमारा प्रयास होगा कि हम राज्य के मिलेट उत्पादों को युरोपीय देशों को निर्यात कर राज्य के किसानों को अधिकतम लाभ दिवाएं। और मिलेट कृषि को सबसे लुभावने पेशे में तब्दील कर दें।उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 को मिलेट इयर घोषित किया है। भारत के इस रिजोल्यूशन को युनाईटेड नेशनस् की समान्य सभा द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया है। कृषकों को मिलेट का बाजार मूल्य अन्य अनाजों की तुलना में कहीं ज्यादा भी मिलता है। किसानों को चावल की कीमत मिलती है 15 से 17 रुपए जबकि मिलेट अनाजों की कीमत 25 से 30 तक मिल जाती है।
उत्तराखण्ड के मिलेट की शेल्फ लाईफ अन्य राज्यों के मिलेट की तुलना में कहीं ज्यादा है। यह बात कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा कही जा चुकी है। इसलिए राज्य में मोटे अनाजों के प्रति आज कई देशों द्वारा रूचि दिखाई जा रही है। हम प्रयास कर रहे हैं कि मिलेट उत्पादन से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ते हुए उनके उत्पादों में निर्यात स्तर की गुणवत्ता लाई जाए तथा उनको बाजार उपलब्ध करवाने के लिए एण्ड-टू-एण्ड सॉल्यूशन तैयार किया जाए। इन्हीं फोकस बिन्दुओं पर केन्द्रित करते हुए लिए राज्य अपना मिलेट मिशन ड्राफ्ट कर रहा है। ज्ञात हो कि मिलेट मिशन अभी तक सिर्फ कर्नाटक और उड़ीशा में ही है, अब उत्तराखण्ड अपना मिलेट प्रोग्राम बना रहा है। सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन ऑर्गेनिक कृषि तकनीकों तथा अन्य विषयों पर कई सक्सेज स्टोरीज को भी प्रदर्शित किया गया।