अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आज
श्रमिक मंत्र, देहरादून। उत्तराखंड की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर देश दुनिया में पहचान बना रही हैं। घर परिवार की जिम्मेदारी के साथ समाज की चुनौती पार कर उद्यम, खेल, माडलिंग, संस्कृति आदि क्षेत्र में कामयाबी की इबारत लिख रहीं हैं। श्रमिक मंत्र आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ ऐसी ही मजबूत और सशक्त महिलाओं की कहानी पेश कर रहा है जो अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी के झंडे गाड़कर समाज को नई दिशा दे रही हैं एवरेस्ट फतह करने वाले भारत की पहली महिला बछेंद्री पाल मूल रूप से उत्तरकाशी निवासी हैं। उन्होंने 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चयन होने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका एक ही सपना था एवरेस्ट फतह करना है। 29 वर्ष में उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर झंडा गाड़ा, इसके बाद बछेद्री पाल कई पर्वताराही के लिए मिशाल बन गईं। इन दिनों 67वें वर्ष की आयु में भी दल के साथ बछेंद्री 4600 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकल पड़ी हैं। पौड़ी जिले के यमकेश्वर के चाय दमराड़ा निवासी पद्मश्री डा. माधुरी बड़थ्वाल वर्तमान में देहरादून के बालावाला में रहती हैं। उत्तराखंड के लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए निरंतर कार्य कर रहीं डा. माधुरी आल इंडिया रेडियो के नजीबाबाद केंद्र की पहली महिला संगीतकार रहीं हैं। स्कूली दिनों में उन्हें जब इस बात का भान हुआ कि समाज में लड़कियों के गाने को लेकर अच्छी धारणा नहीं है, तो उन्होंने महिलाओं को संगीत में आगे बढ़ाने का मन बना लिया। रूढिय़ों को तोडऩे के लिए उन्होंने मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर संवर्धन संस्थान नाम की मांगल टीम बनाई। आज यह टीम उत्तराखंड की नहीं अन्य राज्यों में अपनी प्रस्तुति दे रही है। इसके अलावा वह महिलाओं को गायन, वादन के लिए प्रेरित करने के साथ प्रशिक्षण भी दे रहीं हैं। वर्ष 2019 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा। जबकि इसी वर्ष उन्हें पद्मश्री मिला। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये खास रिपोर्ट।