श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हुए

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हुए
• श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हुए •197056 तीर्थ यात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे। •पांच लाख रिकार्ड तीर्थ यात्री चार धाम पहुंचे
20 क्विंटल फूलों से सजाया गया बद्रीनाथ मंदिर। श्री बदरीनाथ :20 नवंबर। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु  बंद हो गये।

आज 4366 तीर्थ यात्रियों ने श्री बदरीनाथ धाम के दर्शन किये है। इस यात्रा वर्ष श्री बदरीनाथ पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 197056 रही।बदरीनाथ धाम से देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ.हरीश गौड़ ने बताया कि श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो चुके है।श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज 20 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो गये। इस अवसर हेतु बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश ने श्री बद्रीनाथ मंदिर को 20 क्विंटल विभिन्न गेंदा गुलाब, कमल,आदि फूलों पत्तियों से सजाया गया था। चार धामों में  पांच लाख रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे है  जिनमें से श्री बदरीनाथ धाम 197056,श्री केदारनाथ 242712, श्री गंगोत्री 33166, श्री यमुनोत्री 33306  तीर्थयात्री पहुंचे है चार धाम  पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या  506240 है।श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु  आज 20 नवंबर को सायंकाल बंद हुए।


• कपाट बंद होने के अवसर हेतु श्री बदरीनाथ धाम को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया।
• सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा जय बदरी विशाल के जयघोष के साथ शीतकाल हेतु भगवान बद्रीविशाल के कपाट बंद ।
•  प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( अवकाश प्राप्त) गुरमीत सिंह  एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारों धामों में तीर्थ यात्रा के सफल संचालन पर प्रसन्नता जताई  देश- विदेश के तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दी।कहा कोरोना काल के बावजूद  सफल रही चारधाम यात्रा।
• पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चारधाम यात्रा के समापन पर बधाई दी कहा शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देंगे।
• देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर सभी का आभार जताया।
• कल 21 नवंबर को  प्रात: 9.30 बजे आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी,रावल जी सहित उद्धव एवं कुबेर योग- ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगे।
• 22 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।
जबकि श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी शीतकाल में पांडुकेश्वर में
विराजमान रहेंगे।
• 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट  शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे तथा 25 नवंबर को श्री मद्महेश्वर मेला आयोजित होना है।

 


श्री बदरीनाथ धाम (चमोली ) / देहरादून: 20 नवंबर। विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु आज  शनिवार 20 नवंबर  मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में  शाम 6 बजकर 45 मिनट पर  विधि-विधान से बंद हो गये।  इस अवसर पर बद्री विशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा श्री बद्रीनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। बद्रीनाथ धाम  की सुंदर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है जिससे बदरीनाथ धाम में भी तापमान कम है तथा मौसम सर्द बना हुआ है। आज प्रात:ब्रह्म मुहूर्त में श्री बद्रीनाथ मंदिर  के द्वार खुल गये थे।  भगवान बद्रीविशाल जी की अभिषेक पूजा हुई।कुछ देर पूजा-अर्चना एवं दर्शन पश्चात  बाल भोग समर्पित किया गया ,श्रद्धालुओं ने दर्शन किये दिन का भोग प्रसाद चढ़ाया गया।

विष्णुसहस्त्रनाम पूजाएं तथा शयन आरती संपन्न हुई। शाम  साढ़े चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी । इसके पश्चात शाम साढे पांच बजे श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी, एवं गरुड़ जी के मंदिर गर्भगृह से बाहर मंदिर   परिसर में  आते ही रावल जी द्वारा स्त्रैण भेष धारण कर मां लक्ष्मी को मंदिर  भगवान बद्रीविशाल  के  समीप विराजमान किया‌। सीमांत  पर्यटन ग्राम   माणा के महिला मंडल द्वारा  भगवान बद्रीविशाल को भेंट किया गया ऊन से बना घृत कंबल  भगवान श्री बदरीविशाल को  ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल जी द्वारा गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिये गये। इस अवसर  पर रावल जी सहित श्रद्धालुगण भी भावुक हो गये तथा रावल जी समारोह के साथ के  मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर की तरफ प्रस्थान हुए शाम 6  बजकर 45 मिनट पर भगवान बदरी विशाल मंदिर का मुख्य द्वार शीतकाल हेतु बंद कर दिया गया। इस दौरान सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियां

बदरीनाथ धाम में गुंजायमान होती रही।
गर्भगृह में  रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जी द्वारा इस तरह कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की गयी। इस अवसर पर कपाट बंद होने का संपूर्ण कार्यक्रम उत्तराखंड चारधाम  देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह की देखरेख में संपन्न हुआ। इस अवसर पर सेना के बैंड एवं मसकबीन की भक्तिमय धुनों से श्री बद्रीपुरी  गुंजायमान  हो रही थी सेना ने आगंतुक तीर्थयात्रियों हेतु भंडारे लगाये । ऋषिकेश/ मेरठ/ दिल्ली/ गोपेश्वर के दानदाताओं ने भंडारे आयोजित किये। स्थानीय माणा, बामणी,पांडुकेश्वर की महिला भजन मंडलियों ने भगवान बद्रीविशाल के भजन, झूमेलो कार्यक्रम प्रस्तुत किये।  उल्लेखनीय है कि  मंगलवार 16 नवंबर  से  पंच पूजाएं शुरू हुई थी। पंच पूजाओं में    16 नवंबर को गणेश जी की पूजा  एवं कपाट बंद हुए 17 नवंबर को आदि केदारेश्वर जी कपाट बंद हुए तथा 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया गया, 19 नवंबर  चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आव्हान,पांचवे दिन  आज 20 नवंबर को  कपाट बंद हो गये।इस अवसर पर चार  हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के गवाह बने।
कपाट बंद होने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का बदरीनाथ  कार्यालय अब शीतकाल हेतु जोशीमठ से संचालित होगा। भगवान बद्रीविशाल के खजाने के साथ श्री गरुड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा  श्री बदरीनाथ धाम से   नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।


श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बद्री मंदिर सुभाष तपोवन(जोशीमठ) तथा माता मूर्ति  मंदिर माणा सहित श्री घंटाकर्ण मंदिर माणा के कपाट तथा  बद्रीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट  शीतकाल हेतु बंद हो गये हैं।यहां यह भी उल्लेखनीय  है कि श्री घंटाकर्ण महाराज जी, भगवान बद्रीविशाल के प्रधान क्षेत्रपाल कहलाते है शीतकाल हेतु 16 नवंबर को भगवान घंटाकर्ण जी की मूर्ति को मूल मंदिर से पेशवाओं द्वारा अज्ञात स्थान पर शीतकाल हेतु विराजमान कर  दिया गया। और  माणा गांव स्थित श्री घंटाकर्ण मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये।   इस अवसर पर माणा ग्राम में पारंपरिक उत्सव भी आयोजित हुआ जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए। आज श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद  कल  प्रात: 21 नवंबर श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी रावल जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी के साथ रात्रि प्रवास हेतु योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी। श्री कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी श्री योग -बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जायेंगे जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे।इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी। प्रदेश के  राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह  तथा प्रदेश के  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल समापन पर देश- विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है  प्रसन्नता जताई कहा कि चारधाम यात्रा कोरोनाकाल के बावजूद सफल रही। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को बधाई दी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा श्री बदरीनाथ धाम के  कपाट  बंद होने के बाद अब शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहित किया जायेगा। देवस्थानम उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी,विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, चारधाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिवप्रसाद ममगाई सहित विधायक बदरीनाथ /देवस्थान बोर्ड के सदस्य महेंद्र भट्ट, देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी एवं  श्रीनिवास पोस्ती,गोविंद सिंह पंवार सहित सभी सदस्यों ने कपाट बंद होने के अवसर पर बधाई दी है।


मुख्य सचिव डॉ. एस एस. संधू ने कहा की चारधाम यात्रा कई चुनौतियों के बावजूद  सामूहिक प्रयासों से  पटरी पर आयी। धर्मस्व सचिव हरि चंद्र सेमवाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में देश विदेश के तीर्थयात्री पहुंचे। आयुक्त गढ़वाल/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड श्री रविनाथ रमन ने कहा कि चारों धामों के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। चारधाम यात्रा का सफल समापन हो रहा है।चारधाम में रिकार्ड पांच लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे है। कपाट बंद होने के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, वरिष्ठ पत्रकार देवस्थानम बोर्ड के सदस्य आशुतोष डुमरी,अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र क्विरियाल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह सहित धर्माधिकारी  भुवन चंद्र उनियाल एवं आचार्य गण,उप जिलाधिकारी जोशीमठ कुमकुम जोशी, उपजिलाधिकारी अजयबीर सिंह पीतांबर मोल्फा, डा. हरीश गौड़, सहित सेना, पुलिस आईटीबीपी, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी कर्मचारीगण, तीर्थ पुरोहित एवं हजारों की संख्या में तीर्थयात्री मौजूद रहे। इस वर्ष कुल 197056 तीर्थयात्रियों ने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किये।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बद्रीनाथ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है  कि पंच केदारों में से विख्यात द्वितीय केदार भगवान  श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु  सोमवार 22 नवंबर को प्रातः: साढ़े आठ बजे  वृश्चिक लग्न में बंद हो जायेंगे। कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चली विग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को कोरिया प्रवास करेगी।


25 नवंबर को चल विग्रह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने 5 नवंबर  को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जायेगा। कपाट बंद होने न के कार्यक्रम में सामाजिक दूरी सहित कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया है।
बताया कि इस यात्रा वर्ष  5 नवंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी  श्री केदारनाथ धाम दर्शन को पहुंचे। प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित देश-विदेश से महत्वपूर्ण हस्तियां चार धाम दर्शन को पहुंची। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये रिपोर्ट।