गांव को डूबता देख लोहारी गांव के लोग याद कर रहे अपने सुनहरे पल
श्रमिक मंत्र, देहरादून। 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में 630 मीटर पानी भरा जा चुका है। इसी के साथ परियोजना की टेस्टिंग का कार्य भी तेज कर दिया गया है। इधर, गांव छोड़ने के बावजूद ग्रामीण भी झील के किनारे बैठकर उन सुनहरे पलों को याद करते रहे, जो उन्होंने गांव के पंचायती आंगन, घर व खेत-खलिहानों में बिताए होंगे। यमुना की तलहटी में बसे गांव लोहारी में डूबने से पहले चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी। खेतों में लहलहाती धान और गेहूं की फसल किसानों में उम्मीदें जगाया करती थीं। पंचायती आंगन में पर्व-त्योहारों पर होने वाले झेंता, रासो, हारुल व नाटियों लोकनृत्य हर किसी को थिरकने के लिए मजबूर कर देते थे। लकड़ी से बने व पक्के रंग-बिरंगे मकान, नक्काशीदार दरवाजे लोहारी गांव की शान हुआ करते थे। लेकिन, अब ग्रामीणों के पास सिर्फ यादें ही शेष हैं। बुजुर्गों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिस गांव में उनकी कई पीढ़ियां पली-बढ़ी हों, उससे बिछुड़ने की पीड़ा वो शब्दों में बयान नहीं कर पा रहे। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये खास रिपोर्ट।