वन मंत्री सुबोध उनियाल ने  बताया कि विगत वर्षों के मुक़ाबले वनाग्नि की घटनाएँ एक चौथाई रह गयी

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने  बताया कि विगत वर्षों के मुक़ाबले वनाग्नि की घटनाएँ एक चौथाई रह गयी

भाजपा मुख्यालय में वन मंत्री  सुबोध उनियाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विगत वर्षों के मुक़ाबले प्रदेश में वनाग्नि की घटनाएँ एक चौथाई रह गयी है और मानव वन्यजीव संघर्षों में होने वाली जनहानि भी 61 फीसदी तक कम हो गयी है।साथ ही बताया कि अब हमारा फोकस जनसहभागिता से बड़ी संख्या में रोजगार सृजन पर है।प्रदेश कार्यालय में आयोजित होने वाली सरकार के मंत्रियों की पत्रकार वार्ता श्रंखला के क्रम में आज वन, पर्यावरण, तकनीकी शिक्षा, भाषा एवं निर्वाचन मंत्री श्री उनियाल ने अपने विभागीय कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होने कहा, हमारा प्रयास है किस तरह वनों को आम आदमी से पुनः जोड़ा जाये ताकि वह अपने आसपास के वन, पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी का भाव रखते हुए उससे अपनी आजीविका में वृद्धि करे । वनाग्नि राज्य के लिए बड़ी समस्या थी जिसके लिए हमारे द्धारा वन प्रबंधन समिति ग्राम स्तर पर बनाई गयी विशेषकर जहां पर जंगल में आग की घटनाएँ बहुत ज्यादा होती थी । इस कमेटी में ग्राम प्रधान, महिला मंगल दल, युवक मंगल के अध्यक्ष, राजस्व एवं वन विभाग के कर्मचारियों को रखा गया है । इसी का नतीजा है कि 2021-22 में जंगल में आग की घटनाओं में 50 फीसदी की कमी हम लाये और इस वर्ष में 20 फीसदी तक लाने में सफल हुए हैं।इन कमेटियों के संचालन के लिए प्रति कमेटी 40 हज़ार की राशि सरकार द्धारा दी जा रही है, साथ अच्छा करी करने वाली कमेटियों को एक लाख की धनराशि से पुरस्कृत भी किया जा रहा है | इनके बेहतर संचालन के लिए वनों से अतिरिक्त माध्यमों से होने वाली आय का मात्र 10 फीसदी हिस्सा ही सरकार लेगी बाकी सभी राशि वनों के प्रबंधन एवं गाँव की आजीविका बढ़ाने में खर्च किए जाएँगे | उन्होने बताया कि मानव और वन्य जीव संघर्षों की घटनाओं को भी कम करने के लिए सरकार ने अनेकों प्रयास किए है | ऐसी घटनाओं में जनहानि कम से कम हो, उसके लिए विभाग द्धारा वन्यजीव को आदमखोर चिन्हित करने की कार्यवाही को गति दी गयी है जिससे जनहानि की घटनाओं में 61 फीसदी और घायलों की संख्या में 40 फीसदी तक की कमी आई है।
वन मंत्री ने बताया कि पहले 25 प्रजाति के वृक्षों को छोड़ कर सभी वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध था, लेकिन हमारी सरकार व्यवहारिक दिक्कतों को समझते हुए मात्र 21 वृक्षों को छोड़ कर सभी वृक्षों को काटने की अनुमति देने जा रही है, जिसमे चीड़ का पेड़ भी होगा । इसी तरह गैरसेण में हुई कैबिनेट में पेड़ काटने के अपराध को जेल की सजा से मुक्त करने के नियम के चलते भूमाफियाओं द्धारा दुरुपयोग की संभावनाओं के मद्देनजर सरकार इसमे संशोधन करते हुए, निजी वन एवं फलों के बगीचों को इससे बाहर करने जा रही है। वन विभाग ग्राम स्तर पर एको डेवलपमेंट कमेटी बनाने जा रही है जो अपने आस पास के जंगलों में हर्बल खेती, लीसा उत्पादन, टूरिस्ट डेस्टिनेसन विकसित कर और अन्य माध्यमों से आय बनाकर गाँव के विकास एवं अपनी आजीविका पर खर्च कर सकती है
तकनीकी विभाग की जानकारी देते हुए बताया कि उनके द्धारा 7 राज्य सरकार के और एक टीएचडीसी के कॉलेज की पी ओ डी के चेयरमेन पद से विभागीय मंत्री को निकालकर, उनमे 6 कॉलेज को विश्वविधायलय के अधीन कर उन्हे यूनिवेर्सिटी कैंपस बनाया गया है। जिसके चलते उन्हे नए कोर्स चलाने के लिए बार बार AICTE की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी । इसी तरह विधानसभा में सरकार ने 3 इंटीग्रेटेड कॉलेज बनाने की बात काही थी जिसमे डिप्लोमा, डिग्री एवं आँय सेर्टिफिकेट कोर्स एक साथ कराये जाएँ। फिलहाल इसमे चिन्हित स्तनों में देहारादून, नरेंद्र नगर और काशीपुर में से नरेंद्र नगरा मे काम श्रु हो गया है और अगले वर्ष से यह प्रारम्भ हो जाएगा । भाषा विभाग के तहत हिन्दी के अतिरिक्त गढ़वाली एवं कुमायुनी बोली में भी कवि सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। साथ ही गढ़वाली, कुमायुनी के अलावा राज्य मे प्रयोग होने वाली सभी भाषाओं के साहित्यकारों को प्रतिवर्ष पुरस्कृत किया जाएगा।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, प्रदेश प्रवक्ता विनोद सायला,  विपिन केन्थोला, श्रीमती सुनीता विद्यार्थी, सह मीडिया प्रभारी राजेंद्र नेगी, संजीव वर्मा, माणिक निधि शर्मा, राजेश तलवार प्रमुख रूप से मौजूद रहे।