रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच उत्तराखंड में बच्चों को लेकर अभिभावकों की अटकी सांसे
श्रमिक मंत्र, देहरादून। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय छात्र भी मुसीबत में हैं। यूक्रेन में फंसे छात्रों को स्वदेश लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन, अब भी कई छात्र वहां फंसे हैं। उत्तराखंड में भी अपने बच्चों को लेकर अभिभावकों की सांसें अटकी हुई हैं। दून के मायापुरी-अजबपुर कलां निवासी श्रेया खारकीव में घर वापसी की राह ताक रही हैं। यहां माता-पिता दो दिन से उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं। मायापुरी, अजबपुर कलां निवासी दिग्विजय सिंह एलआइसी में सहायक मंडल प्रबंधक और उनकी पत्नी अंजू सिंह केवि-2 सालावाला में शिक्षिका हैं। उनकी बेटी श्रेया सिंह खारकीव नेशनल मेडिकल कालेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा है। एक मार्च को बेटी से उनकी बात हुई थी, उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। खारकीव में जिस तरह के हालात हैं, स्वजन को बेटी की चिंता खाए जा रही है। पिता ने बताया कि उनकी बेटी ने कुछ देर खारकीव मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में शरण ली थी। हालात बिगडऩे पर वह सेना के बंकर में चली गई। इस दौरान वह घायल यूक्रेनी सैनिकों का उपचार भी कर रही थी। खारकीव पावरहाउस पर अटैक होने के बाद क्षेत्र में बिजली भी नहीं थी, मोमबत्ती की रोशनी में वक्त गुजार रहे थे। एक मार्च को श्रेया ने बताया था कि यूक्रेनी सेना को खूफिया जानकारी मिली है कि रूस प्रशासनिक भवन, आर्मी एस्टेब्लिशमेंट को निशाना बनाएगा। इसलिए सभी छात्रों को तुरंत खारकीव छोडऩे के लिए कहा गया है। इसके बाद से उनकी बेटी से कोई बात नहीं हुई है। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये खास रिपोर्ट।