उत्तराखंड में पहाड़ी और मैदानी की खाई पैदा कर रहे हैं कुछ विधायक, उत्तराखंड के आंदोलन में थे सर्व समाज के लोग पृथक उत्तराखंड के 25 वर्षों बाद केवल चर्चा होनी चाहिए कि हम प्रदेश में क्या कर सकते थे क्या नहीं हुआ है भ्रष्टाचार क्यों पनप रहा है
श्रमिक मंत्र, देहरादून। आज उत्तराखंड में पृथक उत्तराखंड को 25 वर्ष पूरे होने पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं हमारे विधानसभा का विशेष सत्र भी आयोजित हुआ लेकिन मुझे यह कहते हुए बड़ा दुख हो रहा है कि हमारे कई विधायक गण इस बात की चिंता नहीं कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश में कितना विकास होना चाहिए था जो नहीं हुआ है किन-किन समस्याओं का निदान किया जाना चाहिए केवल पहाड़ी और मैदानी की चर्चा करने पर लगे हैं ऐसे बयान दे रहे हैं
जिससे पहाड़ी और मैदानी की खाई उत्तराखंड के अंदर पैदा हो रही है मैं ऐसे विधायकों का कट्टर विरोध करता हूं और उनसे अपील भी करता हूं की पृथक उत्तराखंड की लड़ाई में सर्व समाज के लोग थे किसी एक जाति और समुदाय के नहीं हमारी केवल एक ही मांग थी की उत्तर लखनऊ में बैठकर कोई भी व्यक्ति उत्तराखंड का विकास नहीं कर सकता है हमारा पहाड़ का अलग राज्य बनना चाहिए जो पहाड़ी परिपेक्ष में हो जिसको विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए क्योंकि पहाड़ की समस्याएं भी पहाड़ जैसी हैं
पहाड़ में आपदाएं भी बहुत आती हैं प्रतिवर्ष हजारों लोग आपदाओं से पीड़ित रहते हैं इन सब पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन नहीं हो रही है यदि हो रही है तो केवल पहाड़ी और मैदानी के मुद्दे पर हो रही है इससे पहाड़ का विकास नहीं बल्कि उत्तराखंड के अंदर पहाड़ी और मैदानी की खाई खुद जाएगी जिसको भरना फिर किसी के भी बस में नहीं रहेगा जो लोग आज पहाड़ी और मैदानी की बात कर रहे हैं
मूल निवास की बात कर रहे हैं उनको यह भी पता होना चाहिए की कुछ लोगों का तो यहां जीवन लग गया है मैं 1982 से उत्तराखंड में रह रहा हूं मेरी शिक्षा दीक्षा उत्तराखंड में हुई अब यदि कोई मुझे भी उत्तराखंड का ना मानता हो तो ना माने लेकिन मैं तथा मेरा परिवार उत्तराखंड का हूं था और रहूंगा
उत्तराखंड के ही एक विधायक विधायक निधि में कमीशन दिए जाने की बात कर रहे हैं मैं उसकी भी जांच की मांग करता हूं तथा दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की विमान करता हूं हमें यह भी आत्म चिंतन मनन करना चाहिए क्या पहाड़ी राज्य में जो भ्रष्टाचार पनप रहा है वह उचित है यह भी गंभीर चिंतन और मनन का विषय है
अंत में में सभी से अपील करता हूं कि उत्तराखंड में ऐसी बात ना करें जो पहाड़ी और मैदानी की खाई बढ़ें लोगों में द्वेष पैदा हो कम से कम विधायकों को तो इससे परहेज करना चाहिए