उत्तराखंड में जब से पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा मुख्यमंत्री की कमान संभाली है तब से इस राज्य में विकास की बयार बह रही है इस राज्य के समस्त समाचार पत्र हो या सोशल मीडिया प्लेटफार्म सभी जगह धामी छाए रहते है इस के पीछे का राज मोदी जी का आशीर्वाद और धामी जी के अंदर का युवा जोश है , पर इसके उलट एक बात और भी है कि पूरा उत्तराखंड भाजपा संगठन धामी जी के सामने बौना नजर आता है ।
सरकार के उत्क्रष्ट कार्यो को आम जन के बीच पहुंचाने में संगठन नाकाम रहा है। इस चुनावी बयार मे अन्य दलो से भाजपा में आए नेता और उनके समर्थको के बारे में संगठन स्तर पर किसी भी पदाधिकारी ने ना तो इस राज्य के यशष्वी मुख्यमंत्री धामी जी से चर्चा करी और ना ही जॉइन करने वालों की पूरी स्क्रीनिग करी गयी ।
अब अगर उत्तराखंड की बेटी अंकिता को इंसाफ दिलाने की बात करे तो उस पर भी भाजपा संगठन वीवीआईपी के मामले पर चुप्पी साधे रहा , जब वीवीआईपी के प्रकरण पर अंकिता की माँ ने भाजपा के संगठन महामंत्री अजेय कुमार का नाम जग जाहीर किया तब भी भाजपा संगठन चुप रहा और ना ही अपने संगठन महामंत्री अजेय कुमार का इस्तीफा लिया । इस मुद्दे पर भी उत्तराखंड भाजपा संगठन के पदाधिकारियों की कारगुजारियों का ठीकरा भी धामी जी पर फूटा , और उनको आज तक फजीहत झेलनी पड़ रही है ।
लोक सभा चुनाव में भी अंकिता हत्याकांड सुर्ख़ियो में है क्यूकि वीवीआईपी पर कोई कार्यवाई आज तक नहीं हुई है और पूरे चुनाव की कमान संभालने वालों में ये विवादित संगठन महामंत्री अजेय कुमार भी शामिल है । श्रमिक मंत्र द्वारा जब इस मुद्दे पर लिखा गया तो भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान अजेय कुमार की खबर हटवाने के लिए बड़े आतुर दिखे और पूरे तरीके से श्रमिक मंत्र के संपादक आलोक शर्मा पर दबाब बनाने का प्रयास करते रहे। इससे ये साफ जाहीर होता है कि संगठन और सरकार के बीच कोई तो है जो धामी जी के उत्क्रष्ट कार्यो के जनसेतु को तोड़ने का प्रयास मे लगे हुये है ।
अब 5 सीटो पर धामी जी क्या सभी प्रत्यासियों पर बड़े मार्जिन मे जीत दर्ज करा पाएंगे या उत्तराखंड भाजपा संगठन के चंद लोगो के तिलिस्म में फसकर रह जाएंगे ये तो आने वाला वक़्त बताएगा ।