कांग्रेस ने खो दिया सरकार में वापसी का अवसर
श्रमिक मंत्र,देहरादून। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मच सकता है। कांग्रेस सरकार में वापसी का अवसर खो दिया। इसे लेकर पार्टी के भीतर नाराजगी है। कोई इसे नेताओं का कुप्रबंधन बता रहा है तो कोई गुटबाजी का प्रतिफल। बहरहाल, पार्टी स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा होगी, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि इस हार के बाद पार्टी में रार मचेगी या नई और ठोस रणनीति के साथ प्लान तैयार होगा। कांग्रेस ने इस चुनाव में हार के बाद भी आठ सीटों की छलांग लगाई है। वोट प्रतिशत में भी 4.42 अंकों का इजाफा हुआ है, लेकिन सत्ता में वापसी की टीस बनी हुई है। ऐेसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी में इस हार की रार मच सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, पहले से ही गुटबाजी में उलझी कांग्रेस में इस हार के बाद गुटबाजी सतह पर आ सकती है। आने वाले दिनों में संगठनात्मक स्तर पर चुनाव भी होने हैं। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष का भी चुनाव भी होना। फिलहाल यह दायित्व प्रीतम सिंह के पास है, लेकिन अगला नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, इसे लेकर विधानमंडल दल की बैठक में चर्चा के बाद ही कुछ साफ होगा। पिछली बार प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़कर नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभालने के लिए प्रीतम ने पहले इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में उन्हें मना लिया गया था। इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पद के लिए पार्टी के भीतर गुटीय स्थिति देखने को मिल सकती है। दोनों में से एक पद कुुमाऊं के हिस्से में जा सकता है। फिलहाल दोनों पद गढ़वाल में हैं। जीती सीटों का समीकरण देखें तो कुमाऊं का पलड़ा भारी है। कुमाऊं से जहां पार्टी को 11 सीटें मिली हैं तो वहीं हरिद्वार से पांच और देहरादून को मिलाकर गढ़वाल के हिस्से में मात्र तीन सीटें आई हैं। ऐसे में इन दोनों पदों पर गढ़वाल, कुमाऊं और मैदान का समीकरण देखा जाएगा। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये खास रिपोर्ट।