प्रदेश में 18 से 59 आयु वर्ग के व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीके की सतर्कता खुराक का अभियान पड़ा सुस्त

प्रदेश में 18 से 59 आयु वर्ग के व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीके की सतर्कता खुराक का अभियान पड़ा सुस्त

श्रमिक मंत्र, देहरादून।  प्रदेश में 18 से 59 आयु वर्ग के व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीके की सतर्कता खुराक का अभियान रस्म अदायगी बनकर रह गया है। केंद्र सरकार ने बेशक इसे वैकल्पिक रखा है, लेकिन कोरोना संक्रमण से लड़ाई को शरीर के सुरक्षा कवच को मजबूत बनाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ इसकी सलाह दे रहे हैं। हालांकि, सरकारी तंत्र इस ओर संजीदा नहीं दिख रहा। स्थिति यह है कि राज्य के 13 जिलों में से महज तीन में ही नागरिकों को सतर्कता खुराक लग पा रही है। सरकार की निष्क्रियता के चलते अब जनता भी इससे मुंह मोडऩे लगी है और अधिकांश निजी केंद्र वैक्सीन बेकार होने के डर से पहले ही टीकाकरण करने से किनारा कर चुके हैं। 18 वर्ष से अधिक उम्र के जिन व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीके की दूसरी खुराक लगे नौ माह बीत चुके हैं, वह निजी केंद्रों पर सतर्कता खुराक लगवा सकते हैं। इसकी कीमत 385 रुपये तय की गई है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों, स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर को सतर्कता खुराक सरकारी केंद्रों पर निश्शुल्क लग रही है। जानकार मानते हैं कि महामारी से हम सुरक्षित हुए हैं तो इसमें टीकाकरण का बहुत बड़ा योगदान है। श्रमिक मंत्र संवाददाता की ये खास रिपोर्ट।