मुख्यमंत्री से भेंट कर हवाई अड्डे के लिए ग्रामीणों ने जमीन न देने की संकल्प की : गजेंद्र रावत
श्रमिक मंत्र,देहरादून। देहरादून हवाई अड्डे के विस्तार से आशंकित टिहरी बांध विस्थापित और जौलीग्रांट क्षेत्र का एक प्रतिनिधिमंडल अठूरवाला निवासी गजेंद्र रावत के नेतृत्व में आज दिनांक 4 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला और उन्हें हवाई अड्डे के आबादी क्षेत्र में विस्तार न करने को लेकर ज्ञापन सौंपा । प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी कि हवाई अड्डे के विस्तार या एरो सिटी बनाने के लिए यदि सरकार को जमीन की आवश्यकता है तो वह आबादी क्षेत्र की बजाए जंगल क्षेत्र व सरकारी जमीन के विकल्प पर काम करें जिससे किसी को विस्थापित ना करना पड़े और न सरकार को इसके लिए किसी प्रकार का मुआवजा देना पड़े । गजेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि सैकड़ों की संख्या में ऐसे दुकानदार और स्वरोजगार करने वाले लोग हैं जिनके पास घर चलाने के लिए इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है और यदि जबरदस्ती उसकी जमीन दुकान का अधिग्रहण कर दिया गया तो ऐसे में वे लोग मजबूरी में आत्महत्या जैसे कदम उठा सकते हैं क्योंकि उनके पास रोजी रोटी का कोई और इंतजाम नहीं है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि जन भावना का सम्मान किया जाएगा और इस पूरे प्रकरण का परीक्षण करवाया जाएगा । प्रतिनिधिमंडल में क्षेत्रीय विधायक बृज भूषण गैरोला ने टिहरी बांध विस्थापितों और जौलीग्रांट क्षेत्र के लोगों की इस गंभीर समस्या पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करवाया कि बार-बार उजड़ने से लोगों को बचाना बेहद जरूरी है प्रतिनिधिमंडल में जौलीग्रांट क्षेत्र के पूर्व ग्राम प्रधान सागर मनवाल अठूरवाला के वयोवृद्ध नेता विक्रम सिंह भंडारी कमल सिंह राणा बलदेव सिंह सुमेर सिंह नेगी और दिनेश सिंह सजवान शामिल थे। देहरादून हवाई अड्डे के विस्तारीकरण हेतु हमारी जमीन का माफ जोख किया जा रहा है। जिसके कारण टिहरी बांध विस्थापित अठूरवाला और जौलीग्रांट के सैकड़ों परिवार,दुकानदार, होटल,ढाबे तमाम स्वरोजगार करने वाले लोग आशंकित होकर आंदोलन कर रहे हैं बार-बार उजड़ने का दंश हम लोग दो बार झेल चुके हैं लोगों के पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है हम लोग की खेती की जमीन बचाने को संघर्ष कर रहे हैं । जन भावना को समझने के लिए हमने महापंचायत का भी आयोजन किया जिसमें सर्वसम्मति से हवाई अड्डे के विस्तारीकरण या एरोसिटी के निर्माण के लिए जमीन न देने का संकल्प लिया गया है।
टिहरी बांध के निर्माण के लिए हम टिहरी के लोगों ने अपने पुरखों की बेशकीमती जमीन घर बार पैतृक संपत्ति सब कुछ का राष्ट्र के नाम त्याग किया। 1980 में हमें भानियावाला बसाया गया 2003-04 में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए एक बार फिर हटाया गया और अब 2022 में फिर से हम लोग उजड़ने के डर से आशंकित है।
सरकार यदि देहरादून हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना चाहती है तो उसके लिए उस विकल्प पर काम किया जाए जिससे किसी को बेघर न होना पड़े। सरकार के पास अपनी निजी भूमि व भारी मात्रा में जंगल क्षेत्र मौजूद है पूर्व में उसका सर्वे भी किया जा चुका है । और यदि हवाई अड्डे का विस्तारीकरण जंगल की ओर किया जाता है । तो सरकार को इसके लिए न तो किसी को विस्थापित करना पड़ेगा और ना ही किसी प्रकार का मुआवजा देना पड़ेगा । इससे क्षेत्र के सैकड़ों वे दुकानदार होटल मालिक ढाबे वाले भी बच जाएंगे जिन्होंने वर्षों की तपस्या के बाद अपना स्वरोजगार कायम किया है। क्योंकि सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी भी उन्हीं से जुड़ी हुई है ऐसे में जन भावना के अनुरूप काम करना बेहद जरूरी है । इसलिए हमारी सरकार से गुजारिश है कि सरकार टिहरी बांध विस्थापित और जौलीग्रांट क्षेत्र के लोगों की जमीन की बजाए विस्तारीकरण के लिए जंगल वाला विकल्प अपनाएं ताकि जन भावनाएं भी आहत न हों और विकास का कार्य बदस्तूर आगे बढ़े।