हीमोफीलिया मरीजों को लेकर गंभीर सीएम धामी,कहा नहीं होने दी जाएगी हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी
राज्य में पंजीकृत हैं 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी,सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है हीमोफीलिया फैक्टर
श्रमिक मंत्र,देहरादून। राज्य में हीमोफीलिया मरीजों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार से राज्य में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या व उनको मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी नहीं होने दी जाये। प्रत्येक मरीज को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले इसका पूरा ध्यान रखा जाये।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी पंजीकृत है।
जिनके उपचार हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ व नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा पूर्व में हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर हेतु राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एस०एस० जे० बेस हल्द्वानी नैनीताल एवं संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार, पौडी जाना पडता है।
परंतु पिछले पांच वर्षों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को उपचार हेतु हीमोफीलिया फैक्टर उनकी निकटतम चिकित्सा इकाई पर उपलब्ध कराये जा रहे है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया वर्तमान में राज्य में फैक्टर-7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा शीघ्र ही सम्बन्धित चिकित्सा इकाइयों को फैक्टर-8 और फैक्टर-9 भी उपलब्ध करा दिये जायेगें।
स्वास्थ्य सचिव ने अवगत कराया कि उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देशित किया है कि वह व्यक्तिगत रूप में प्रत्येक माह हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करे तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक माह हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं का संज्ञान ले व इस बीमारी को लेकर सरकार द्वारा निःशुल्क दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराए।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है।
हीमोफीलिया पीडितों के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति होती है और चोट लगने पर रक्तस्त्राव जारी रहता है।
यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है, महिलाओं में इस रोग के लक्षण अक्सर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं पर वह रोग की वाहक होती है। कभी कभार यह रोग महिलाओं को प्रभावित करता है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा हीमोफीलिया युक्त व्यक्तियों के रक्तस्त्राव तेज नहीं होता अपितु लगातार व लम्बी अवधि तक होता रहता है।
सामान्य व्यक्ति,बाह्य चोट जैसे कटने,छिलने चोट लगने से बचाने का ध्यान रखता हैं, किन्तु हीमोफीलिया में बाह्य चोट के अलावा अंदरूनी रक्तस्त्राव भी बहुत गंभीर हो सकता हैं।
जिससे कि हाथ व पैरों के जोडों व मांसपेशियों के अकड़ाहट,दर्द,जोड़ों का खराब होना,विकलांगता और कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है।