एसजीआरआरयू में फिजियोथेरेपी शोध की विभिन्न विधाओं पर मंथन

एसजीआरआरयू में फिजियोथेरेपी शोध की विभिन्न विधाओं पर मंथन

 400 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों ने किया प्रतिभाग

दो दिवसीय सेमिनार में शोध एवं अनुसंधान के माॅर्डन प्रारूपों पर जानकारियां साझा

श्रमिक मंत्र ,देहरादून। गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हेल्थ साइंसेज के फिजियोथेरेपी विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ 11 व 12 दिसम्बर 2024 को फिजियोथैरेपी के शोध की कला और विज्ञान से जुड़ महत्वपूर्णं विषयों पर जानकारियों सांझा करेंगे। एसजीआरआरयू के आईक्यूएसी सैल के सहयोग से आयोजित सेमिनार में 400 से अधिक छात्र-छात्राओं, पीएचडी शोधार्थियों एवं फैकल्टी एवं डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया।

बुधवार को  गुरु राम राय विश्वविद्यालय के सभागार में सेमिनार का शुभारंभ  गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथेरेपी विभाग के प्रो. (डाॅ.) सिद्धार्थ सेन,  गुरु राम राय विश्वविद्यालय की सम कुलपति प्रो.(डाॅ.) कुमुद सकलानी, समन्वयक डाॅ. आर.पी. सिंह, डीन, स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हेल्थ साइंसेज, प्रो. (डाॅ.) कीर्ति सिंह, विभागाध्यक्ष, फिजियोथेरेपी विभाग, डाॅ. शारदा शर्मा व प्रो.(डाॅ.) नीरज कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।

मुख्य वक्ता गुरु गोबिंद सिंह ट्राईसैटेनरी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम, हरियाणा के फिजियोथेरेपी विभाग के प्रो. (डाॅ.) सिद्वार्थ सेन ने अपने व्याख्यान मे फिजियोथैरेपी विषय में शोध के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने शोध के विभिन्न चरणों को विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने जानकारी दी कि शोध का प्रथम चरण समस्या को पहचानना, द्वितीय चरण उससे सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन, तृतीय चरण शोध के उद्देश्यों पर आधारित परिकल्पना और अवधारणा बनाना,  चौथे चरण शोध के स्वरूप को पहचानना, पांचवा चरण डेटा संग्रहण, छठा चरण सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण करना, सातवें चरण विश्लेषण के परिणामों को लिखकर अभिलेख बनाना, आठवा चरण परिणामों पर चर्चा- परिचर्चा करना एवं नवा चरण शोध का निष्कर्ष निकालना होता है।

उन्होंने बताया कि फिजियोथैरेपी शोध का दायरा काफी विस्तृत है क्योकि फिजियोथैरेपी का उपयोग हड्डी रोग, न्यूरो, हृदय रोग, स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं अन्य रोगों के उपचार मे भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी शोध सीधे तौर पर इंजीनियरिंग से भी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी मे इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण इंजीनियरों द्वारा बनाये जाते है। उन्होने कहा कि फिजियोथैरेपी मे होने वाले शोध इंजीनियरों को उपकरणों के निर्माण में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होनें फिजियोथेरेपी के विभिन्न आयामों में होने वाले शोध के विषय में फिजियोथेरेपी छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, फैकल्टी व डॉक्टरों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देकर उनका ज्ञानवर्धन किया।

प्रो. (डाॅ.) कुमुद सकलानी ने विश्वविद्यालय की ओर से आए हुए मुख्य वक्ता प्रो. (डाॅ.) सिद्धार्थ सेन का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी अपने आप में सबसे भिन्न विशेषज्ञ विधा है। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी में शोध द्वारा कई प्रकार के रोगों का उपचार संभव है। उन्होने कहा कि यह सेमिनार फिजियोथेरेपी के विद्यार्थियों व शोधकर्ताओं हेतु ज्ञान संवर्धन का अनूठा मंच है।

डाॅ. आर.पी.सिंह ने कहा कि रोकथाम उपचार से बेहतर है सिद्धांत पर फिजियोथेरेपी काम करती है। उन्होंने कहा कि शोध हमें यह प्रमाणित करने में सहयोग करता है कि कोई भी तथ्य आस्तित्व में है य नही एवं है तो कितना कार्यात्मक है।
प्रो.(डाॅ.) कीर्ति सिंह ने कहा कि इस सेमिनार का आयोजन करवाना फिजियोथेरेपी विभाग की एक सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि अन्य विषयो की तरह फिजियोथेरेपी में भी शोध का काफी महत्व है।


सेमिनार के आयोजन में डाॅ. शमां परवीन, डाॅ. सन्दीप कुमार, डाॅ. मंजुल नौटियाल, डाॅ. तबस्सुम, डाॅ. सुरभि थपलियाल, डाॅ. रविंद्र, डाॅ. दीपा एवं डाॅ. जयदेव का विशेष सहयोग रहा।